कोयला इंधन के बारे में जानकारी
दोस्तों, ऊर्जा के कई सारे विकल्प मनुष्य के पास है। कोयला भी एक ऊर्जा का स्त्रोत है, यह कार्बन के रूप में पाए जाने वाला इंधन है।
आप इस को जलाके ऊर्जा प्राप्त कर सकते हो। क्या आपको पता है धरती पे इस्तेमाल की जाने वाली ऊर्जा में से ४०% ऊर्जा कोयला से आती है।
लेकिन चिंता की बात यह है की इस धरती पे एक दिन कोयला की खदान मिलना बंद हो जायेगा तब मनुष्य क्या करेगा, इसीलिए मैं चाहती हूँ की आपको कोयला इंधन के बारे में जानकारी हो।
कोयला के प्रकार उसमे मौजूद कार्बन से निर्धारित किये जाते है। सबसे पहले आपको यह जानना होगा की कोयला शब्द कहा से हिंदी भाषा में लिया गया है।
‘कोयला’ और ‘कोयल’ यह दोनों शब्द संस्कृत भाषा से लिए गए है। अधूरी जली हुयी लकड़ी से कोयला का जनम होता है। इसके मूल दो प्रकार होते है
१) लकड़ीसे निकला हुआ कोयला
२) पत्थर से निकला हुआ कोयला
इसके अलावा एक और भी कोयला का प्रकार होता है, जिसे हम कहते
३) हड्डियोंसे निकला हुआ कोयला
ऊपर बताये गए सभी प्रकार महत्वपूर्ण है। इसका इस्तेमाल घर के कामोंके लिए, कारख़ानोंमे किया जाता है। इसमें कार्बन की मात्रा होने के कारन जलने पर बहुत ही कम धुआँ निकलता है।
ज्यादा देर तक जलते रहना इसका एक गुणधर्म है। बात करे गंधक की तो इसका प्रमाण कोयला में बहुत कम होता है। यह जल्दी आग पकड़ लेता है।
और भी उपयोग
हम सबको सिर्फ इतना ही पता है की कोयला ऊर्जा निर्माण करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन मैं आपको बता दू इसके अलावा भी कोयला काफी जगह पर उपयोग में लाया जाता है।
रबर, टायर की काली टुब और जुतोंका निर्माण करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
रंग कामो में जैसे की काला ऑइलपेंट और एनिमल पेण्ट बनाने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा ग्रामोफ़ोन के रिकॉर्ड, कार्बन पेपर और टाइप राइटर के रिबन बनाने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है।
लेखन साहित्य में बात करे तो पेन्सिल और मुद्रण की स्याही बनाने में भी इसका इस्तेमाल होता है। आपको पता नहीं होगा लेकिन बहुत सारे रसायन बनाने में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
कहि जगहोंपर इससे कोयला गैस भी बनाते है। इसमें मूल इंधन के गुण होने के कारन यह बारूद बनाने का भी एक घटक है।
कोयला क्षेत्र
२१ वे शतक में कोयला ईंधन का एक महत्व पूर्ण घटक है। घर कामोंकेलिए और बड़ी बड़ी इंडस्ट्रीज के लिए यह एक अच्छा ईंधन का स्त्रोत है।
जिस उद्योग में लोहे का इस्तेमाल किया जाता है वहा इसे ईंधन के रूप में सबसे बेहतरीन माना जाता है। भारत देश में दो प्रकार के स्तर में कोयला पाया जाता है।
१) गोंडवाना युग
२) तृतीय कल्प
पहले प्रकार की बात करते है। गोंडवाना युग के प्रकार का कोयला उच्च कोटि का माना जाता है। सबसे ज्यादा जलना और कमसे कम रख का निर्माण करना यह इसकी खासियत है।
इस प्रकार के क्षेत्र भारत में प्रमुख दो है। झरिया और रानीगंज, झरिया झारखण्ड में आता है और रानीगंज बंगाल में। पुरे भारत वर्ष में पाए जाने वाले कोयला का ७०% इन दो जगहोंसे आता है।
कोयला का प्रमुख घटक कार्बन होता है, इसके अलावा इसमें हाइड्रोजन, नाइट्रोजन और गंधक पाया जाता है।
कोयला के प्रकार उसमे स्थित कार्बन की मात्रा पे निर्भर होते है।
प्रकार
१) एन्थ्रेसाईट – कार्बन का प्रमाण ९४ – ९८ प्रतिशत
२) बिटुमिनस – कार्बन का प्रमाण ७८ – 86 प्रतिशत
३) लिग्नाइट – कार्बन का प्रमाण २८ – 30 प्रतिशत
४) पिट – कार्बन का प्रमाण 27 प्रतिशत
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