खदिरादि वटी के घटक, फायदे और लेने का तरीका
खदिरादि वटी आयुर्वेद की अत्यंत प्रभावशाली औषधी है।यह शरीर की गर्मी को दूर करने का काम करती है। इसमें एन्टीइन्फ्लैमटोरी, एंटीसेप्टिक, एंटीबायोटिक, एन्टिओक्सीडैंट जैसे कई सरे गुण मौजूद होते है।
खदिरादि वटी के घटक –
खैर या कत्था
जावित्री
कंकोल मिर्च (काली मिर्च)
कर्पूर
सुपारी
जैसे घटक मौजूद होते है
अलग अलग कम्पनी के अनुसार इसके घटक बदल सकते है। लेकिन इसका जो मुख्य घटक है खैर वो सभी खदिरादि वटी में मौजूद होता है। खैर को ही हम खदिर कहते है। खदिर पाचक, शीतल, रक्तशुद्धिकारक और दांतोंके लिए गुणकारी होता है। कपूर के साथ मिलने के कारन यह दांत और मसूडोंके बहुत सारे रोग नष्ट कर देता है। अच्छी क्वालिटी की खदिरादि वटी यहासे खरीदना
फायदे-
गलत खान पान, कब्ज, शरीर की गर्मी, पानी का बहुत ही कम सेवन करना जैसे कई कारणों से मुँह में छाले आ जाते है जिसे माउथ अलसर या फिर stomatitis कहते है। मुँह में छाले आने पर खाना खाते समय पानी पिते समय बहुत तेज दर्द होता है। ऐसे समय में आप खदिरादि वटी को मुँह में रखकर चूस सकते है। इससे मुँह के छाले ठीक हो जाते है। कभी कभी जीभ पर भी छाले आ जाते है जीभ के छालों को ठीक करने के लिए खदिरादि वटी बहुत ही लाभकारी औषधि है।
मसूड़ों की सूजन, मसूड़ों से खून या मवाद आना जैसी समस्या में भी आप इसका उपयोग कर सकते है। इसके इस्तमाल से मसूड़ों की सूजन कम हो जाती है और खून आना भी बंद होता है।
दातों की समस्या जैसे की दातों को ठंडी या गर्म चीजे सहन न होना, दातों में संक्रमण होना, दातों में कीड़े लगना, दातों का दर्द जैसी समस्या में आप इसका प्रयोग कर सकते है। इसके सेवन से दातों की सारी समस्या ठीक हो जाती है।
गले में दर्द होना, आवाज बैठ जाना, बार बार गला सुख जाना जैसी समस्या का इलाज करने के लिए खदिरादि वती बहुत लाभकारी है। tonsillitis की समस्या में टॉन्सिल्स में सूजन आ जाती है, गले में दर्द होने लगता है ऐसे समय में आप खदिरादि वटी का सेवन कर सकते है इससे टॉन्सिल्स की सूजन और दर्द दोनों ठीक हो जाते है और आराम मिलता है। ज्यादातर ये समस्या बच्चो में होती है आप बच्चों को भी खदिरादि वटी दे सकते है लेकिन इसकी मात्रा के बारे में आपको विशेष दयँ रखना होगा।
जिन लोगों का मुँह बार बार सुख जाता है उन्हें खदिरादि वटी को शहद के साथ मुँह में रखकर चूस लेना चाहिए। इससे बार बार मुँह सूखने की समस्या ठीक हो जाती है।
खदिरादि वटी वात, पित्त , कफ तीनो दोषों को संतुलित करने का काम करती है।
दुष्परिणाम –
खदिरादि वटी का बहुत ही ज्यादा मात्रा मी सेवन नहीं करना चाहिए इससे पेट में जलन, मतली, उलटी, चक्कर आने की समस्या हो सकती है।
सात दिनों से ज्यादा इसका सेवन करने से कुछ लोगों को नींद में कमी, अनेमिया की शिकायत हो सकती है इसलिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही इसका सेवन करना चाहिए।
मात्रा-
खदिरादि वटी की ३-४ गोलिया दिन भर में आप शहद के साथ या ऐसे ही चूस सकते है।
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