प्राणायाम के नियम
प्राणायम को हमारे शास्त्रो में ब्रम्हविद्या कहा गया है | हमारी संस्कृति में योगविद्या को सबसे ऊँची विद्या कहा गया है | और योगी होना जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धी माना है | योग में बहुत सारे प्रकार होते है लेकिन उनमेसे सबसे बढ़िया है प्राणायाम | तनाव सारे रोगोंका मुख्य कारण है | प्राणायाम के जरिये आप तनाव से मुक्त हो सकते है |
जिन रोंगोंको मेडिसिन लेके कण्ट्रोल कर सकते है, उन्हें प्राणायाम की मदद से क्योर कर सकते है | प्राणायाम में स्वास को शरीर में लेने की प्रक्रिया को पूरक कहते है | स्वास को शरीर के बाहर छोड़ने की क्रिया को रेचक कहते है |
प्राणायाम के नियम / Pranayam Ke Niyam
जिस जगह पर आप प्राणायाम करने वाले हो, वह स्थान शांत और साफ होना चाहिए | अगर किसी तालाब के नजदीक की जगह आप चुनते हो तो यह बहुत अच्छा होगा |
अगर आप घर में प्रणयाम कर रहे हो तो, घी का दीपक या फिर अगरबत्ती को जरूर जलाये |
बैठने के लिए चादर या फिर रबर मैट का प्रयोग करना होगा | अगर कुछ न मिले तो घर की चटाई का इस्तेमाल कर सकते हो |
प्राणायाम करते समय पदमासन की स्थिति में ही बैठे | जो लोग जमीन पर नहीं बैठ सकते वे ख़ुर्शी का भी इस्तेमाल कर सकते है |
प्राणायाम करते समय अपनी गर्दन, पीठ और कमर को सीधा रखे | हाथोंको ज्ञान मुद्रा या फिर चीन मुद्रा में रखे
श्वास को हमेशा नाक से ही ले | मुँह से श्वास लेना फायदेमंद साबित नहीं होता | नाक से साँस शुद्ध होके शरीर में प्रवेश करती है |
बस्ती क्रिया के पच्छात यह आसन करने से विशेष लाभ मिलता है |
इस आसन को करने वाले व्यक्ति को अपने आहार और विचार में विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है | अगर आप शाकाहार युक्त भोजन अपनाएंगे तो और भी अच्छा रहेगा |
योग कुल आठ अंगो से बनता है | उनमेसे चौथा अंग है प्राणायाम | इधर प्राण का अर्थ है वायु जिसका मूल ह्रदय है | क्या आपको पता है | इंसान जन्म लेने के बाद साँस को अंदर की तरफ लेता है और मरने के समय साँस को बाहर छोड़ता है |
शरीर के सभी अंगोंको सम प्रमाण में वायु मिले यह इस आसन का प्रमुख उद्देश्य है |
प्राणायाम के प्रकार
प्राणायाम के कुछ प्रकार इस प्रकार है –
- भस्त्रिका प्राणायाम
- बाह्य प्राणायाम
- भ्रामरी प्राणायाम
- नाड़ी शोधन प्राणायाम
- शीतली प्राणायाम
- उज्जायी प्राणायाम
- कपालभाती प्राणायाम
- डिग्र प्राणायाम
प्राणायाम के फायदे / pranayam ke labh
प्राणायाम का प्रमुख उद्देश्य तनाव से मुक्ति पाना होता है | इस आसन से हृदय रोगोसे आराम मिलता है | किडनी की बीमारी प्राणायाम से ठीक हो जाती है | मन को शांत करने में यह आसान विशेष लाभदायक होता है | शरीर की रुकी हुयी नाडी को खोलने का काम प्राणायाम करता है | रक्त संचरण अच्छे तरीकेसे होता है | प्राणायाम करने से पाचन क्रिया में सुधार होता है | इससे रक्त शुद्ध करने में भी मदद मिलती है |
प्राणायाम करने के फायदे
कपालभाति को करने से मोटापा, सांस की बीमारी, इनडाइजेशन, बालों की समस्या में फायदा होता है | अनुलोम विलोम इस को रेगुलर करने से हाई ब्लड प्रेशर, अस्थमा, सर्दी, जुकाम, साइनस, डायबिटीज जैसी प्रॉब्लम में फायदा होता है |
प्राणायाम करने से सिर दर्द, टेंशन, ट्रेस, नींद ना आना जैसी प्रॉब्लम दूर होती है और कंसंट्रेशन बढ़ता है | उज्जाई को करने से लिंग मजबूत होते है | इससे ब्लड सरकुलेशन नॉर्मल नॉर्मल होता है | अस्थमा में फायदा होता है, शरीर की गंदगी बाहर निकलती है |
बाह्य से कब्ज, एसिडिटी, यूरिन और पेट की प्रॉब्लम में फायदा होता है | ऑर्गन हेल्थी रहते हैं | मंडूकासन कब्ज, गैस्ट्रिक प्रॉब्लम, डायबिटीज, हार्ट, डिस्क, किडनी और पैंक्रियास की प्रॉब्लम में फायदेमंद है |
वक्रासन पेट कमर और डायबिटीज के लिए यह बहुत अच्छा उपाय है बॉडी को फ्लेक्सिबल करने में हेल्पफुल है | गोमुखासन से कंधों का दर्द दूर होता है | सर्वाइकल स्पांडिलाइसिस में फायदेमंद है कमर की चर्बी घटती है |
पवनमुक्तासन गैस्ट्रिक प्रॉब्लम, मोटापा, इनडाइजेशन, कमर दर्द, घुटनों का दर्द ऐसे प्रॉब्लम में फायदेमंद है | इससे पेट का दर्द, कमर दर्द, सर्वाइकल प्रॉब्लम, पेट की चर्बी कम होती है |
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